Saturday, 2 June 2012

तूने आने में की जो देरी तो

दोस्तों! आज एक रोमांटिक रचना के साथ प्रस्तुत हूँ। यह रचना साहित्यिक नहीं है बल्कि एक साधारण रचना है जो संगीत के साथ ही अच्छी लगेगी। आशा है हमेशा की तरह आप इसे भी जरूर पसन्द करेंगे...
              अगर ऊपर यू ट्यूब में कोई समस्या हो तो इस रिकार्डिंग को आप यहाँ भी देख और सुन सकते हैं...
                                http://www.youtube.com/watch?v=bS5sHa4-rDg&feature=plcp

                           तूने आने में की जो देरी तो।
                           याद आने लगेगी तेरी तो।

                           मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
                           मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।

                            ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
                            ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।

                            करूँगा और इन्तज़ार अगर,
                            जान जाने लगेगी मेरी तो।

 आजकल फ़ायर फ़ाक्स में यू-ट्यूब काम नहीं कर रहा, इसलिये आप से ये अनुरोध है की आप इसे गूगल क्रोम में देखने का कष्ट करें....

29 comments:

  1. बहुत ही लाजबाब रोमांटिक गजल ,,,,,बेहतरीन आवाज,,,वाह !!! क्याबात है

    RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,

    ReplyDelete
  2. Gazab gazal - khubsurat avaz, vaah !!

    ReplyDelete
  3. इस रचना में इसके भाव की प्रधानता है।

    ReplyDelete
  4. साहित्यिक किसे कहते हैं? बहुत बढ़िया गज़ल है. ढेर भाव मत खाइये, बधाई स्वीकारिये।:)

    ReplyDelete
  5. मन के सहज भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  6. आपके गजल का भाव मन को स्पंदित कर गया । किसी भी गजल में भाव-प्रवणता का समन्वय उसे सार्थकता प्रदान करता है । मेरे नए पोस्ट खड़ी बोली का प्रतिनिधि कवि-मैथिलीशरण गुप्त पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  7. वाह .. मज़ा आ गया सुन के भी और इन शेरों कों महसूस कर के भी ... लाजवाब ..

    ReplyDelete
  8. वाह!!!!!
    बहुत बढ़िया..शब्द भी स्वर भी...

    अनु

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति... आभार

    ReplyDelete
  10. आप Rajpurohit Samaj ब्लॉग के समर्थक(Followers) बने फोलो |

    Rajpurohit Samaj!
    पर पधारेँ।
    आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी!!

    ReplyDelete
  11. यादगार सांगीतिक प्रस्तुति !

    ReplyDelete
  12. waah...Beautiful voice !

    ReplyDelete
  13. बहुत बढ़िया गज़ल है...... बधाई

    ReplyDelete
  14. बहुत बढ़िया और साथ ही बहुत सुंदर ढंग से स्वर प्रदान किया है आपने ...
    काबिले तारीफ़ ....

    ReplyDelete
  15. उम्दा ग़ज़ल..

    ReplyDelete
  16. Very nice post.....
    Aabhar!
    Mere blog pr padhare.

    ReplyDelete
  17. आपका भी मेरे ब्लॉग [कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य पर आने के लिए बहुत आभार
    आपकी बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना...
    आपका मैं फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,......
    मेरा एक ब्लॉग है
    http://dineshpareek19.blogspot.in/

    ReplyDelete
  18. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

    ReplyDelete
  19. तकनिकी वजह से सुन नहीं पाया हूँ....लेकिन शब्द बोल रहे हैं ........सुंदर प्रस्तुति..............

    ReplyDelete
  20. रचना तो पढ़ने और सुनने, दोनों में अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  21. चतुर्वेदी जी
    अच्छी और नाज़ुक एहसासात से रची बसी रचना...

    ReplyDelete
  22. बहुत बहुत सुन्दर रचना..
    बेहतरीन:-)

    ReplyDelete