दोस्तों! आज एक रोमांटिक रचना के साथ प्रस्तुत हूँ। यह रचना साहित्यिक नहीं है बल्कि एक साधारण रचना है जो संगीत के साथ ही अच्छी लगेगी। आशा है हमेशा की तरह आप इसे भी जरूर पसन्द करेंगे...
अगर ऊपर यू ट्यूब में कोई समस्या हो तो इस रिकार्डिंग को आप यहाँ भी देख और सुन सकते हैं...
http://www.youtube.com/watch?v=bS5sHa4-rDg&feature=plcp
तूने आने में की जो देरी तो।
याद आने लगेगी तेरी तो।
मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।
ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।
करूँगा और इन्तज़ार अगर,
जान जाने लगेगी मेरी तो।
आजकल फ़ायर फ़ाक्स में यू-ट्यूब काम नहीं कर रहा, इसलिये आप से ये अनुरोध है की आप इसे गूगल क्रोम में देखने का कष्ट करें....
अगर ऊपर यू ट्यूब में कोई समस्या हो तो इस रिकार्डिंग को आप यहाँ भी देख और सुन सकते हैं...
http://www.youtube.com/watch?v=bS5sHa4-rDg&feature=plcp
तूने आने में की जो देरी तो।
याद आने लगेगी तेरी तो।
मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।
ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।
करूँगा और इन्तज़ार अगर,
जान जाने लगेगी मेरी तो।
आजकल फ़ायर फ़ाक्स में यू-ट्यूब काम नहीं कर रहा, इसलिये आप से ये अनुरोध है की आप इसे गूगल क्रोम में देखने का कष्ट करें....